


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागलपुर रैली से किसान निधि की छठी किस्त भेजी गई। इसे किसानों के बड़े वोट बैंक को मजबूती देने की मंशा भर नहीं कहा जाना चाहिए। इस रैली के जरिए BJP ने बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य के विधानसभा चुनाव का अजेंडा सेट कर दिया है।
शानदार समीकरण
किसान, महिला और नौजवान बिहार चुनाव के आधार वोट हैं। पीएम मोदी राज्य की जनता की नब्ज को बखूबी टटोलते रहे हैं। इसी वजह से बिहार के जनमानस में उनके प्रति अजीब आसक्ति का भाव भी समय के साथ विकसित होता रहा है। भागलपुर में उमड़े जनसैलाब ने यह दिखाया भी। पीएम के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी एक ऐसी केमिस्ट्री के सूत्र स्थापित कर गई है, जो NDA को न सिर्फ बड़ा उफान देती है बल्कि सत्ता में हनक के साथ वापसी के आसार प्रबल बना देती है।
विकास की झांकी
पीएम मोदी ने सीएम नीतीश कुमार को 'लाडला मुख्यमंत्री' बताकर बिहार को यह संदेश दे दिया कि दोनों विकास पुरुष साथ-साथ हैं और इससे राज्य के विकास का सफर तेज रफ्तार में तय होता जाएगा। यह संदेश उस पिछड़े हुए राज्य के लिए सकारात्मक सियासत को नया आयाम देता है, जो नकारात्मक राजनीति के निचले पायदान पर लंबे समय तक त्रस्त रहा। यही कारण है कि जंगल राज के डर से निकाल बेहतर और विकसित बिहार की झांकी बार-बार दिखाई जाती है।
कामयाब जोड़ी
पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की जुगलबंदीका असर कामयाबी को परिणाम तक पहुंचा जाता है। नीतीश कुमार की 300 करोड़ कीसरकारी योजनाओं को जनता के बीच समर्पित करने वाली दो माह तक चली प्रगतियात्रा और केंद्रीय बजट को बिहारमय बनाकर पेश करने वाली मोदी सरकार नेभागलपुर रैली से एक साथ 400 करोड़ से अधिक की योजनाएं राज्य को सौंपी गईं।इसने चुनाव के पहले आम मतदाताओं के मन में हिलोरें पैदा कर दी हैं।